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यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता अर्थात जिस कुल में स्त्रियों का आदर है वहाँ देवता प्रसन्न रहते हैं। इस प्रकार शास्त्रों में नारी की महिमा बताई गई है। भारतीय समाज में नारी का एक विशिष्ट व गौरवपूर्ण स्थान है। लेकिन आजकल के समाज में ऐसा नहीं है। आजकल कहीं वीरान स्थल पर नारी मिल जाए तो किसी रक्षक को भी भक्षक बनने में देर नहीं लगती। लेकिन चरित्र और मर्यादा के बल पर नारी निसंदेह नारायणी का रूप भी धारण करके भक्षक को रक्षक बनाने में सक्षम हो सकती है।
तीन-तीन नारी-विरोधी पुरुषों को अलग-अलग ढंग से वश में करके सही मार्ग पर लाने वाली एक युवती के साहसपूर्ण कृत्यों की सरस कहानी, जिसे प्रस्तुत किया है लोकप्रिय उपन्यासकार धर्मवीर कपूर ने।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Apr/2025
ISBN: 9780143474180
Length : 128 Pages
MRP : ₹150.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
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Imprint: Penguin Swadesh
Published: Apr/2025
ISBN:
Length : 128 Pages
MRP : ₹150.00
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता अर्थात जिस कुल में स्त्रियों का आदर है वहाँ देवता प्रसन्न रहते हैं। इस प्रकार शास्त्रों में नारी की महिमा बताई गई है। भारतीय समाज में नारी का एक विशिष्ट व गौरवपूर्ण स्थान है। लेकिन आजकल के समाज में ऐसा नहीं है। आजकल कहीं वीरान स्थल पर नारी मिल जाए तो किसी रक्षक को भी भक्षक बनने में देर नहीं लगती। लेकिन चरित्र और मर्यादा के बल पर नारी निसंदेह नारायणी का रूप भी धारण करके भक्षक को रक्षक बनाने में सक्षम हो सकती है।
तीन-तीन नारी-विरोधी पुरुषों को अलग-अलग ढंग से वश में करके सही मार्ग पर लाने वाली एक युवती के साहसपूर्ण कृत्यों की सरस कहानी, जिसे प्रस्तुत किया है लोकप्रिय उपन्यासकार धर्मवीर कपूर ने।