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इस धमाकेदार किताब में, सुरज मिलिंद एंगडे, जाति से जुड़े गहरे विश्वासों को चुनौती देते हैं और इसकी कई परतों को खोलते हैं। यह इंक़लाबी किताब यह दिखाती है कि जाति किस तरह इंसान की रचनात्मक शक्ति को कुचलती है। ये किताब बताती है कि जाति किस तरह उत्पीड़न के दूसरे रूपों जैसे नस्ल, वर्ग और लिंग से खौफनाक रूप से मेल खाती है। यह किताब असमानता पर विचार करने के साथ-साथ एक संघर्ष का आह्वान भी करती है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Apr/2025
ISBN: 9780143450665
Length : 386 Pages
MRP : ₹599.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
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Imprint: Penguin Swadesh
Published: Apr/2025
ISBN:
Length : 386 Pages
MRP : ₹599.00
इस धमाकेदार किताब में, सुरज मिलिंद एंगडे, जाति से जुड़े गहरे विश्वासों को चुनौती देते हैं और इसकी कई परतों को खोलते हैं। यह इंक़लाबी किताब यह दिखाती है कि जाति किस तरह इंसान की रचनात्मक शक्ति को कुचलती है। ये किताब बताती है कि जाति किस तरह उत्पीड़न के दूसरे रूपों जैसे नस्ल, वर्ग और लिंग से खौफनाक रूप से मेल खाती है। यह किताब असमानता पर विचार करने के साथ-साथ एक संघर्ष का आह्वान भी करती है।