© 2020 Penguin India
रांगेय राघव के सामाजिक उपन्यासों में यह उनका अंतिम उपन्यास है। इसमें स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद बदलते हुए ग्राम्य-जीवन का चित्रण है। देहाती जीवन की दलबंदी, मुकदमेबाज़ी, भ्रष्टाचार और राजनीति संबंधी अनेक घटनाएँ हैं, जिन्हें बड़े विस्तार और रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। कई आलोचकों ने इस उपन्यास को प्रेमचंद की परंपरा से भी जोड़ा है। हिरदेराम मुख्य प्रभावी पात्र है जो ग्रामीण जीवन का प्रतिनिधित्व करता है। गोविन्द दुश्चरित्र व्यक्ति है। नारी पात्रों में निहाल कौर निर्लज्ज, चरित्रहीन युवती है। चंपा, चमेली भी ऐसी ही हैं जो शारीरिक संबंध बनाने में बहुत तेज झलक भी मिलती है। कथोपकथन व्यंव्यंग्यात्मक शैली में है। लेकिन इस उपन्यास की लेखन परिपक्वता अपने आप में बेजोड़ है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Aug/2024
ISBN: 9780143470786
Length : 212 Pages
MRP : ₹199.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
ISBN:
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Aug/2024
ISBN:
Length : 212 Pages
MRP : ₹199.00
रांगेय राघव के सामाजिक उपन्यासों में यह उनका अंतिम उपन्यास है। इसमें स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद बदलते हुए ग्राम्य-जीवन का चित्रण है। देहाती जीवन की दलबंदी, मुकदमेबाज़ी, भ्रष्टाचार और राजनीति संबंधी अनेक घटनाएँ हैं, जिन्हें बड़े विस्तार और रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। कई आलोचकों ने इस उपन्यास को प्रेमचंद की परंपरा से भी जोड़ा है। हिरदेराम मुख्य प्रभावी पात्र है जो ग्रामीण जीवन का प्रतिनिधित्व करता है। गोविन्द दुश्चरित्र व्यक्ति है। नारी पात्रों में निहाल कौर निर्लज्ज, चरित्रहीन युवती है। चंपा, चमेली भी ऐसी ही हैं जो शारीरिक संबंध बनाने में बहुत तेज झलक भी मिलती है। कथोपकथन व्यंव्यंग्यात्मक शैली में है। लेकिन इस उपन्यास की लेखन परिपक्वता अपने आप में बेजोड़ है।