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बाज़ारवादी युग में दरकते इंसानी रिश्तों पर लिखी आलोक श्रीवास्तव की ग़ज़लें उनके निजी अनुभवों का आईना हैं। आसान की कई रचनाओं में सामाजिक सरोकार के सबूत मिलते हैं। यह पुस्तक पन्नों के कैनवास पर शब्दों के रंग बिखेरने का एहसास कराती है, जिसमें पाठक काव्य की हर विधा में निपुणता के साथ किसी सूफ़ियाना ख़्याल को सिर्फ एक दोहे में समेट देने के हुनर से रू-ब-रू होते हैं। पुस्तक की रचनाएँ पाठकों के मनोभाव में ऐसे प्रवेश करती हैं, जैसे वह उनकी ही भावनाएँ हों। विद्वान रावण द्वारा विरचित ‘शिव तांडव स्त्रोत’ और गोस्वामी तुलसीदास के लिखे ‘रुद्राष्टक’ का हिंदी भावानुवाद भी आसान में समाहित है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2025
ISBN: 9780670098019
Length : 138 Pages
MRP : ₹250.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
ISBN:
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2025
ISBN:
Length : 138 Pages
MRP : ₹250.00
बाज़ारवादी युग में दरकते इंसानी रिश्तों पर लिखी आलोक श्रीवास्तव की ग़ज़लें उनके निजी अनुभवों का आईना हैं। आसान की कई रचनाओं में सामाजिक सरोकार के सबूत मिलते हैं। यह पुस्तक पन्नों के कैनवास पर शब्दों के रंग बिखेरने का एहसास कराती है, जिसमें पाठक काव्य की हर विधा में निपुणता के साथ किसी सूफ़ियाना ख़्याल को सिर्फ एक दोहे में समेट देने के हुनर से रू-ब-रू होते हैं। पुस्तक की रचनाएँ पाठकों के मनोभाव में ऐसे प्रवेश करती हैं, जैसे वह उनकी ही भावनाएँ हों। विद्वान रावण द्वारा विरचित ‘शिव तांडव स्त्रोत’ और गोस्वामी तुलसीदास के लिखे ‘रुद्राष्टक’ का हिंदी भावानुवाद भी आसान में समाहित है।
आलोक श्रीवास्तव कविता, कहानी, फ़िल्म-लेखन और टीवी पत्रकारिता का जाना-माना नाम हैं। शाजापुर(म.प्र) में जन्मे आलोक तीन दशक से ग़ज़लकार के रूप में प्रसिद्धि पा चुके हैं। सभी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन होता रहता है। उनका पहला ही ग़ज़ल-संग्रह आमीन सर्वाधिक चर्चित, लोकप्रिय व बहु-पुरस्कृत पुस्तकों में शामिल हुआ है। कई भारतीय व विदेशी भाषाओं में उनकी रचनाओं का अनुवाद भी हो चुका। उन्हें शब्दशिल्पी सम्मान(भोपाल), हेमंत स्मृति कविता सम्मान(मुंबई), परंपरा ऋतुराज सम्मान(दिल्ली), मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी का दुष्यंत कुमार पुरस्कार, फ़िराक़ गोरखपुरी सम्मान (उदयपुर) मिल चुका है। अंतरराष्ट्रीय स्तर मास्को(रूस) का अंतरराष्ट्रीय पुश्किन सम्मान व अमेरिका के वाशिंगटन में हिंदी ग़ज़ल सम्मान मिलने के साथ वे कथा यूके की ओर से ब्रिटेन की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स में सम्मानित होने वाले पहले युवा ग़ज़लकार हैं।