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यह कहानी मध्यकाल के मशहूर सेनानायक मलिक काफ़ूर की है जो अल्लाउद्दीन खिलजी के दरबार में उसका नायब था। काफ़ूर को हिजड़ा बनाकर कई-कई बार बेचा गया था और बाद में वह खिलजी के दरबार में पहुँचा। उसने बड़े-बड़े कारनामे किए। उसने मंगोल हमलों से दिल्ली की रक्षा की, दक्कन का फतह किया और देवगिरि व वारंगल का राज्य जीतकर सुल्तान के कदमों में रख दिया। लेकिन उसकी महात्वाकांक्षा बाद में उसे ले डूबी और उसका पतन हुआ। इस कहानी में जीवन के कई रंग हैं और मानवीय भावनाओं का प्रस्फुटन भी है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Dec/2023
ISBN: 9780143463498
Length : 368 Pages
MRP : ₹499.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
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Imprint: Penguin Swadesh
Published: Dec/2023
ISBN:
Length : 368 Pages
MRP : ₹499.00
यह कहानी मध्यकाल के मशहूर सेनानायक मलिक काफ़ूर की है जो अल्लाउद्दीन खिलजी के दरबार में उसका नायब था। काफ़ूर को हिजड़ा बनाकर कई-कई बार बेचा गया था और बाद में वह खिलजी के दरबार में पहुँचा। उसने बड़े-बड़े कारनामे किए। उसने मंगोल हमलों से दिल्ली की रक्षा की, दक्कन का फतह किया और देवगिरि व वारंगल का राज्य जीतकर सुल्तान के कदमों में रख दिया। लेकिन उसकी महात्वाकांक्षा बाद में उसे ले डूबी और उसका पतन हुआ। इस कहानी में जीवन के कई रंग हैं और मानवीय भावनाओं का प्रस्फुटन भी है।
उत्तराखण्ड के एक सुदूर गाँव में जन्मे युगल जोशी भारत सरकार में अधिकारी हैं। उन्होंने आईआईटी, दिल्ली विश्वविद्यालय और नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में पढ़ाई की है। पानी, इतिहास और मिथकों में गहरी रुचि रखने वाले युगल जोशी की अब तक कई पुस्तकें प्रकाशित हैं जिनमें सिंगापुर वाटर स्टोरी (पाँच भाषाओं में अनूदित) प्रमुख हैं। हिंदी में यह इनका पहला उपन्यास है।