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Aprem Aur Anya Kahaniyan/अप्रेम और अन्य कहानियाँ

Aprem Aur Anya Kahaniyan/अप्रेम और अन्य कहानियाँ

Anil Yadav/अनिल यादव
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Paperback / Hardback

इस संग्रह में शामिल कहानियाँ, हमारी दुनिया में नई शक्ति से फैलते अन्याय और असमानता के अंधेरे के साथ ही उपभोक्तावादी समाज की प्रदर्शनप्रियता, झूठी रंगीनियों और इनसे पैदा हताशा-टूटन को उजागर करती हैं। यहाँ राजनीति-कॉरपोरेट-धर्म-पर्यावरण के संकट मानवीय और अमानवीय संबंधों के साथ एक नए शिल्प और चकित करने वाली भाषा में प्रकट होते हैं। शिल्प के माने यह नहीं हैं कि भाषिक करतब को ही कहानी मान लिया जाए जहां परंपरा की गाँठें, इतिहास की उलझनें और साधारण मनुष्य के जीवन की सचाइयाँ ही गायब हों, बल्कि ये कहानियाँ अपने ही अनजाने और मुश्किल रास्तों पर चलते हुए तलघर, भग्न गलियों, मलिन बस्तियों, जंगल, कब्रिस्तान और श्मशान, मल्टी स्टोरी इमारतों और मधुमक्खी के छत्तों तक एक जैसी सहजता से जाती हैं।

Imprint: Penguin Swadesh

Published: Feb/2025

ISBN: 9780143470137

Length : 192 Pages

MRP : ₹299.00

Aprem Aur Anya Kahaniyan/अप्रेम और अन्य कहानियाँ

Anil Yadav/अनिल यादव

इस संग्रह में शामिल कहानियाँ, हमारी दुनिया में नई शक्ति से फैलते अन्याय और असमानता के अंधेरे के साथ ही उपभोक्तावादी समाज की प्रदर्शनप्रियता, झूठी रंगीनियों और इनसे पैदा हताशा-टूटन को उजागर करती हैं। यहाँ राजनीति-कॉरपोरेट-धर्म-पर्यावरण के संकट मानवीय और अमानवीय संबंधों के साथ एक नए शिल्प और चकित करने वाली भाषा में प्रकट होते हैं। शिल्प के माने यह नहीं हैं कि भाषिक करतब को ही कहानी मान लिया जाए जहां परंपरा की गाँठें, इतिहास की उलझनें और साधारण मनुष्य के जीवन की सचाइयाँ ही गायब हों, बल्कि ये कहानियाँ अपने ही अनजाने और मुश्किल रास्तों पर चलते हुए तलघर, भग्न गलियों, मलिन बस्तियों, जंगल, कब्रिस्तान और श्मशान, मल्टी स्टोरी इमारतों और मधुमक्खी के छत्तों तक एक जैसी सहजता से जाती हैं।

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Anil Yadav/अनिल यादव

अनिल यादव एक नामवर यायावर, संवेदनशील लेखक और गंभीर पत्रकार हैं। अब तक उनकी चार किताबें प्रकाशित हैं। उनका कहानी संग्रह नगर वधुएँ अखबार नहीं पढ़तीं और उत्तर-पूर्व पर आधारित यात्रा वतृातं वह भी कोई देस है महराज काफी चर्चा में रहा है। 2018 में उनकी कथेतर किताब सोनम गुप्ता बेवफा नहीं है को “अमर उजाला शब्द सम्मान” मिल चुका है। लंबी कहानी गौसेवक लिए उन्हें “हंस कथा सम्मान” (2019) से सम्मानित किया गया। अनिल को उनके बेलीक जीवन और कथा-शिल्प के लिए जाना जाता है। नई पीढ़ी के लेखकों में संभवत: वे बिरले हैं जिन्होंने दृश्य के अंदर का ‘अदृश्य’ देखने की क्षमता अर्जित कर ली है।

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