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यह ऐतिहासिक उपन्यास आठवीं सदी के भौमकर राजवंश की एक कहानी है। यह एक विराट आख्यान है, जिसमें बौद्ध धर्म का उसकी ऊँचाइयों को छूना, उसकी साधना एवं परंपरा तथा उसे मिल रहा राज्याश्रय और उसका क्षरण सभी शामिल है।
उड़िया से हिंदी में अनुदित चरु, चीवर और र्चया एक क्लासिक श्रेणी का उपन्यास है जिसके मूल उड़िया संस्करण को उड़िशा में प्रतिष्ठित सरला पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2024
ISBN: 9780143466062
Length : 488 Pages
MRP : ₹450.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
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Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2024
ISBN:
Length : 488 Pages
MRP : ₹450.00
यह ऐतिहासिक उपन्यास आठवीं सदी के भौमकर राजवंश की एक कहानी है। यह एक विराट आख्यान है, जिसमें बौद्ध धर्म का उसकी ऊँचाइयों को छूना, उसकी साधना एवं परंपरा तथा उसे मिल रहा राज्याश्रय और उसका क्षरण सभी शामिल है।
उड़िया से हिंदी में अनुदित चरु, चीवर और र्चया एक क्लासिक श्रेणी का उपन्यास है जिसके मूल उड़िया संस्करण को उड़िशा में प्रतिष्ठित सरला पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
ओड़िशा राज्य सिविल सेवा के अधिकारी रहे प्रदीप दाश जाने-माने कथाकार हैं। सामाजिक-ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित दस कथा-संग्रह और चार वृहद उपन्यासों से प्रदीप दाश ने ओड़िआ साहित्य जगत में एक विशेष पहचान बनाई है। दाश का पहला कथा-संग्रह घूम पहाड़र नई सन् 1997 में प्रकाशित हुआ, जिसके कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। दाश के अन्य कहानी संग्रह हैं बरबर, मीमांसा, ससेमिरा, राधा तमाळ, सुत उवाच, नवानी देहि, अरुंधतिरा आलुअ, पितृ प्रयाग और अर्घ्य।