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Dasta Ke Naye Rup/दास्ता के नए रुप

Dasta Ke Naye Rup/दास्ता के नए रुप

Gurudutt/गुरुदत्त
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‘दासता के नए रूप’ में उपन्यासकार ने स्वातंत्र्योपलब्धि के अनंतर देशवासियों की दास मनोवृत्ति और पतित आचरण का विश्लेषण किया है। इस दिशा में उनकी यह अत्यंत सफल अभिव्यक्ति कही जा सकती है। उनका कहना है कि सत्ताधीश लोग मनुष्य को दासता की शृंखलाओं में बाँधने का यत्न करते रहे हैं। राजनीतिक सत्ता अथवा आर्थिक व सामाजिक प्रभुत्व प्राप्त करके लोग अन्य मनुष्यों को अपनी सत्ता प्रभाव के अधीन रखने के लिए अनेकानेक प्रकारों का प्रयोग करते हैं। ये दासता उत्पन्न करने के उपाय हैं।

Imprint: Penguin Swadesh

Published: Oct/2024

ISBN: 9780143471455

Length : 344 Pages

MRP : ₹350.00

Dasta Ke Naye Rup/दास्ता के नए रुप

Gurudutt/गुरुदत्त

‘दासता के नए रूप’ में उपन्यासकार ने स्वातंत्र्योपलब्धि के अनंतर देशवासियों की दास मनोवृत्ति और पतित आचरण का विश्लेषण किया है। इस दिशा में उनकी यह अत्यंत सफल अभिव्यक्ति कही जा सकती है। उनका कहना है कि सत्ताधीश लोग मनुष्य को दासता की शृंखलाओं में बाँधने का यत्न करते रहे हैं। राजनीतिक सत्ता अथवा आर्थिक व सामाजिक प्रभुत्व प्राप्त करके लोग अन्य मनुष्यों को अपनी सत्ता प्रभाव के अधीन रखने के लिए अनेकानेक प्रकारों का प्रयोग करते हैं। ये दासता उत्पन्न करने के उपाय हैं।

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