‘ज़िंदगी के दुःख-सुख, अपने और मेरे,
दो नदियों की तरह मिल जाने दो! और फिर जैसे
पानी में लकीर नहीं पड़ती, तुम्हारे-मेरे अस्तित्व
में भी कोई लकीर न खींची जा सके।’
— अमृता प्रीतम
इस संकलन में अमृता प्रीतम के प्रेम पत्र संकलित किए गए हैं। ये प्रेमपंत्र केवल प्रेम की पींगे ही नहीं हैं, वरन इनमें समाज, काल और संस्कार भी रेखांकित किए गए हैं। युवा पीढ़ी के लिए प्रेरक भी और मार्गदर्शक भी हो सकती है यह पुस्तक। साहित्य जगत में इन पत्रों का बेहद उच्च स्थान है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Aug/2024
ISBN: 9780143470847
Length : 128 Pages
MRP : ₹175.00