निर्भय हाथरसी बहुत ही प्रतिभाशाली कवि थे। मंच पर वे बिना लिखे ही कविता पढ़ते थे। लेकिन वे मंचों पर अपनी बेलाग बेबाक तथा कटाक्षपूर्ण टिप्पणियों के लिए भी प्रसिद्ध थे। इस संग्रह में उनकी ऐसी कविताएँ हैं, जो उन्होंने मंचों पर सीधे पढ़ी और बाद में लिखी। निर्भय हाथरसी की हास्य कविता ‘मारे गए मलखान दिल्ली के दंगल में. . .सिंडीकेट मैदान दिल्ली के दंगल में।’ एक ऐसी कविता है, जिसका पाठ विदेशों तक में आज भी होता है। कविताओं का यह संकलन अपने आप में अद्भुत है, इसमें हास्य कविताएँ भी हैं, तो व्यंग्य भी हैं और साथ ही कटाक्ष भी इन कविताओं में देखा जा सकता है। राजनीति और देश की आबोहवा को भी ये कविताएँ रेखांकित करती हैं।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Oct/2024
ISBN: 9780143471486
Length : 144 Pages
MRP : ₹175.00