गीतांजलि रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा मूलतः बांग्ला में रचित गीतों (गेयात्मक कविताओं) का संग्रह है। ‘गीतांजलि’ शब्द ‘गीत’ और ‘अञ्जलि’ को मिलाकर बना है जिसका अर्थ है—गीतों का उपहार (भेंट)। वैसे रवीन्द्रनाथ सूफी रहस्यवाद और वैष्णव काव्य से प्रभावित थे। फिर भी संवेदना चित्रण में वे इन कवियों को अनुकृति नहीं लगते। जैसे मनुष्य के प्रति प्रेम अनजाने ही परमात्मा के प्रति प्रेम में परिवर्तित हो जाता है। वे नहीं मानते कि भगवान किसी आदम बीज की तरह है। उनके लिए प्रेम है प्रारंभ और परमात्मा है अंत! सिर्फ इतना कहना नाकाफी है कि >i>गीतांजलि के स्वर में सिर्फ रहस्यवाद है। इसमें मध्ययुगीन कवियों का निपटारा भी है। धारदार तरीके से उनके मूल्यबोधों के ख़िलाफ। हालाँकि पूरी गीतांजलि का स्वर यह नहीं है। उसमें समर्पण की भावना प्रमुख विषय वस्तु है। यह रवीन्द्रनाथ का संपूर्ण जिज्ञासा से उपजी रहस्योन्मुख कृति है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: May/2024
ISBN: 9780143468127
Length : 200 Pages
MRP : ₹199.00