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कब तक पुकारूँ रांगेय राघव द्वारा लिखा गया एक अद्भुत पठनीय उपन्यास है। जिसमें राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमा से जुड़ा ‘बैर’ एक ग्रामीण क्षेत्र की कहानी कहता है। वहाँ नटों की भी बस्ती है। तत्कालीन जरायम पेशा करनटों की संस्कृति पर आधारित यह एक सफल आँचलिक उपन्यास है।
इस उपन्यास का नायक सुखराम करनट अवैध संबंध पैदा हुआ एक ऐसा व्यक्ति है जिसके लिए सिद्धांतों पर चलना टेढ़ी खीर है। इस उपन्यास की पात्राएँ अवैध संबंधों से पीड़ित लड़कियाँ इतनी मासूम हैं कि नैतिकता क्या है, इसका ज्ञान उन्हें नहीं है। थोड़े से पैसों की खातिर वे कहीं भी चलने को तैयार हो जाती हैं।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2025
ISBN: 9780143473541
Length : 260 Pages
MRP : ₹250.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
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Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2025
ISBN:
Length : 260 Pages
MRP : ₹250.00
कब तक पुकारूँ रांगेय राघव द्वारा लिखा गया एक अद्भुत पठनीय उपन्यास है। जिसमें राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमा से जुड़ा ‘बैर’ एक ग्रामीण क्षेत्र की कहानी कहता है। वहाँ नटों की भी बस्ती है। तत्कालीन जरायम पेशा करनटों की संस्कृति पर आधारित यह एक सफल आँचलिक उपन्यास है।
इस उपन्यास का नायक सुखराम करनट अवैध संबंध पैदा हुआ एक ऐसा व्यक्ति है जिसके लिए सिद्धांतों पर चलना टेढ़ी खीर है। इस उपन्यास की पात्राएँ अवैध संबंधों से पीड़ित लड़कियाँ इतनी मासूम हैं कि नैतिकता क्या है, इसका ज्ञान उन्हें नहीं है। थोड़े से पैसों की खातिर वे कहीं भी चलने को तैयार हो जाती हैं।