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कर्म’, आज के दौर में इस शब्द का प्रयोग बहुत किया जाता है। लोग इसे एक बही खाते की तरह समझते हैं जिसमें हमारे अच्छे-बुरे, कार्यों और विचारों का हिसाब रखा जाता है; एक ऐसी व्यवस्था जो यह सुनिश्चित करती है कि अच्छे के साथ अच्छा हो और बुरे के साथ बुरा। इस सरल समझ ने हमारे जीवन में कई उलझने पैदा कर दी हैं।
इस पुस्तक के द्वारा सद्गुरु न सिर्फ यह समझाते हैं कि कर्म क्या है बल्कि वे हमें यह भी बताते हैं कि चुनौतियों भरे इस जीवन में हम अपनी राह कैसे खोज सकते हैं।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Feb/2023
ISBN: 9780143458036
Length : 230 Pages
MRP : ₹250.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
ISBN:
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Feb/2023
ISBN:
Length : 230 Pages
MRP : ₹250.00
कर्म’, आज के दौर में इस शब्द का प्रयोग बहुत किया जाता है। लोग इसे एक बही खाते की तरह समझते हैं जिसमें हमारे अच्छे-बुरे, कार्यों और विचारों का हिसाब रखा जाता है; एक ऐसी व्यवस्था जो यह सुनिश्चित करती है कि अच्छे के साथ अच्छा हो और बुरे के साथ बुरा। इस सरल समझ ने हमारे जीवन में कई उलझने पैदा कर दी हैं।
इस पुस्तक के द्वारा सद्गुरु न सिर्फ यह समझाते हैं कि कर्म क्या है बल्कि वे हमें यह भी बताते हैं कि चुनौतियों भरे इस जीवन में हम अपनी राह कैसे खोज सकते हैं।
योगी, रहस्यवादी और युगद्रष्टा सद्गुरु एक अलग तरह के आध्यात्मिक गुरु हैं। बोध कि पूर्ण स्पष्टता उन्हें आध्यात्मिक संदर्भों में ही नहीं, बल्कि व्यावसायिक, पर्यावरण और अंतरराष्ट्रीय मामलों में भी एक विशिष्ट स्थान प्रदान करती है। उनकी विदेशी मामलों की गहरी समझ और मानव-कल्याण के प्रति नितांत वैज्ञानिक दृष्टिकोण का वर्ल्ड बैंक, हाउस ऑफ लॉर्ड्स (यूके), वर्ल्ड प्रेजिडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन, मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, लंडन बिजनेस स्कूल, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी संस्थाओं पर रूपांतरकारी प्रभाव रहा है। सद्गुरु पिछले तीन दशकों से व्यक्ति और विश्व की भलाई के प्रति समर्पित एक नॉन-प्रॉफिट संगठन ईशा फाउंडेशन के संस्थापक भी हैं।