मधु, महान साहित्यकार गुरुदत्त की ऐसी रचना है, जिसे आपातकाल के दौरान प्रतिबंध का दंश झेलना पड़ा था। लेखक को इसके लिए भारी जुर्माना भी भरना पड़ा था और तिहाड़ जेल की सजा काटी वह अलग। लेकिन बाद में कोर्ट में लंबी लड़ाई के बाद इस रचना से प्रतिबंध हटाया गया और अब यह रचना पाठकों के बीच एक बार फिर आ गई है। इस पुस्तक में सामाजिक चेतना की ऐसी प्रेरक एवं संघर्षपूर्ण कहानी है जो हर किसी को चिंतन एवं मंथन करने के लिए विवश कर देती है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2025
ISBN: 9780143473589
Length : 248 Pages
MRP : ₹299.00