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Madhushala/मधुशाला

Madhushala/मधुशाला

Harivansh Rai Bachchan/हरिवंश राय बच्चन
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Paperback / Hardback

मधुशाला में एक सौ पैंतीस रूबाइयाँ (यानी चार पंक्तियों वाली कविताएँ) हैं।
मधुशाला की हर रूबाई मधुशाला शब्द से समाप्त होती है। हरिवंश राय बच्चन ने मधु, मदिरा, हाला (शराब), साकी (शराब पड़ोसने वाली), प्याला (कप या ग्लास), मधुशाला और मदिरालय की मदद से जीवन की जटिलताओं के विश्लेषण का प्रयास किया है। मधुशाला जब पहली बार 1935 में प्रकाशित हुई तो शराब की प्रशंसा के लिए कई लोगों ने उनकी आलोचना की। लेकिन गांधी जी ने इसकी प्रशंसा की।
बाद के दिनों में मधुशाला इतनी मशहूर हो गई कि जगह-जगह इसे नृत्य-नाटिका के रूप में प्रस्तुत किया। मधुशाला की चुनिंदा रूबाइयों को मन्ना डे ने एल्बम के रूप में प्रस्तुत किया। इस एल्बम की पहली कविता स्वयं बच्चन ने गाई। हरिवंश राय बच्चन के पुत्र अमिताभ बच्चन ने न्यू यॉर्क के लिंकन सेंटर सहित कई जगहों पर मधुशाला की रूबाइयों का पाठ किया।

Imprint: Penguin Swadesh

Published: May/2025

ISBN: 9780143463474

Length : 176 Pages

MRP : ₹199.00

Madhushala/मधुशाला

Harivansh Rai Bachchan/हरिवंश राय बच्चन

मधुशाला में एक सौ पैंतीस रूबाइयाँ (यानी चार पंक्तियों वाली कविताएँ) हैं।
मधुशाला की हर रूबाई मधुशाला शब्द से समाप्त होती है। हरिवंश राय बच्चन ने मधु, मदिरा, हाला (शराब), साकी (शराब पड़ोसने वाली), प्याला (कप या ग्लास), मधुशाला और मदिरालय की मदद से जीवन की जटिलताओं के विश्लेषण का प्रयास किया है। मधुशाला जब पहली बार 1935 में प्रकाशित हुई तो शराब की प्रशंसा के लिए कई लोगों ने उनकी आलोचना की। लेकिन गांधी जी ने इसकी प्रशंसा की।
बाद के दिनों में मधुशाला इतनी मशहूर हो गई कि जगह-जगह इसे नृत्य-नाटिका के रूप में प्रस्तुत किया। मधुशाला की चुनिंदा रूबाइयों को मन्ना डे ने एल्बम के रूप में प्रस्तुत किया। इस एल्बम की पहली कविता स्वयं बच्चन ने गाई। हरिवंश राय बच्चन के पुत्र अमिताभ बच्चन ने न्यू यॉर्क के लिंकन सेंटर सहित कई जगहों पर मधुशाला की रूबाइयों का पाठ किया।

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