“. . . कभी-कभार पति प्राप्त होता है मुझे और सो भी निचुड़े हुए नीबू की तरह. . .”
“देखो लक्ष्मी!. . . जो जिसके योग्य होता है, उसे वही प्राप्त होता है। निचुड़ा हुआ नीबू कड़वा भी होता है। इसलिए कान खोलकर सुन लो कि अगर तुम अपने-आप मायके नहीं चली जातीं तो मैं तुम्हें धक्के मार-मारकर यहाँ से निकाल दूँगा।”
एक दृढ़ निश्चयी युवती के अनोखे संघर्ष की अद्भुत कहानी। प्रतिष्ठित उपन्यासकार गुरुदत्त का नवीनतम अत्यंत रोचक तथा मर्मभेदी उपन्यास। यह उपन्यास अत्यंत सरल भाषा में लिखा गया है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2025
ISBN: 9780143473602
Length : 268 Pages
MRP : ₹299.00