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नारी की स्वतंत्रता उन हज़ारों घरों के लिए आज भी एक सवाल बनी हुई है, जिन्होंने यूरोपीय सभ्यता के अनुकरण के कारण न केवल अपने परिधान बदले हैं, वरन मन और दिमाग भी बेच डाले हैं, परंतु भारतीय नारी भले ही यूरोपीय सभ्यता का अनुकरण करे, फिर भी वह कभी अपनी भारतीय संस्कृति को नहीं छोड़ती, इसी परिकल्पना को साकार करती है यह कृति। इस पुस्तक में प्रेरक कथावस्तु के माध्यम से महिलाओं की स्वतंत्रता और अधिकारों के हनन के खिलाफ एक सशक्त आवाज उठाई गई है।
ऐतिहासिक कथा-साहित्य के कुशल चितेरे तथा लाखों पाठकों में आज भी लोकप्रिय रचनाकार आचार्य चतुरसेन की मुग्ध कर देने वाली लेखनी से उपजा रोचक उपन्यास है नीलमणि।
इस पुस्तक में नीलमणि उपन्यास के साथ ही धीगं धनी का धन नामक रोचक कहानी भी संकलित की गई है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Aug/2024
ISBN: 9780143470731
Length : 144 Pages
MRP : ₹175.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
ISBN:
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Aug/2024
ISBN:
Length : 144 Pages
MRP : ₹175.00
नारी की स्वतंत्रता उन हज़ारों घरों के लिए आज भी एक सवाल बनी हुई है, जिन्होंने यूरोपीय सभ्यता के अनुकरण के कारण न केवल अपने परिधान बदले हैं, वरन मन और दिमाग भी बेच डाले हैं, परंतु भारतीय नारी भले ही यूरोपीय सभ्यता का अनुकरण करे, फिर भी वह कभी अपनी भारतीय संस्कृति को नहीं छोड़ती, इसी परिकल्पना को साकार करती है यह कृति। इस पुस्तक में प्रेरक कथावस्तु के माध्यम से महिलाओं की स्वतंत्रता और अधिकारों के हनन के खिलाफ एक सशक्त आवाज उठाई गई है।
ऐतिहासिक कथा-साहित्य के कुशल चितेरे तथा लाखों पाठकों में आज भी लोकप्रिय रचनाकार आचार्य चतुरसेन की मुग्ध कर देने वाली लेखनी से उपजा रोचक उपन्यास है नीलमणि।
इस पुस्तक में नीलमणि उपन्यास के साथ ही धीगं धनी का धन नामक रोचक कहानी भी संकलित की गई है।
आचार्य चतुरसेन शास्त्री हिन्दी भाषा के एक महान उपन्यासकार थे। इनका अधिकतर लेखन ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित है। इनकी प्रमुख कृतियां गोली, सोमनाथ, वयं रक्षामः और वैशाली की नगरवधू इत्यादि हैं। आभा इनकी पहली रचना थी। इनके अतिरिक्त शास्त्रीजी ने प्रौढ़ शिक्षा, स्वास्थ्य, धर्म, इतिहास, संस्कृति और नैतिक शिक्षा पर कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखी हैं।