Publish with Us

Follow Penguin

Follow Penguinsters

Follow Penguin Swadesh

Pakistan Ka Safar/पाकिस्तान का सफ़र

Pakistan Ka Safar/पाकिस्तान का सफ़र

Balraj Sahni/बलराज साहनी
Select Preferred Format
Buying Options
Paperback / Hardback

महान अभिनेता बलराज साहनी का एकमात्र यात्रा वृत्तांत है — पाकिस्तान का सफ़र।
इस यात्रा वृत्तांत में साहनी ने पाकिस्तान की अपनी रोमांचक यात्रा के बारे में लिखा है।
साहनी जब सारी दुनिया में प्रसिद्ध हो चुके थे, तो उन्हें तब अपना वह घर बहुत याद आने लगा, जिसके आंगन में उनका बचपन बीता था, लेकिन अब वह घर पाकिस्तान में था और साहनी हिंदुस्तानी नागरिक थे। अब वह पाकिस्तानी घर उनका नहीं था, न ही उस घर में उनके कोई संबंधी रहते थे, अब तो वह घर किन्हीं अनजान लोगों का था, उसके मालिक कोई और थे, इसलिए साहनी को उस घर में जाने में संकोच हो रहा था। लेकिन सिकंदर ने साहनी को समझाया कि वह बेकार-से तकल्लुफ़ात का शिकार हो रहा है और नि:संकोच अपने पुराने घर को देखने के लिए उसे पाकिस्तान अवश्य जाना चाहिए।
अपने पुराने घर और बचपन के दोस्तों की गलियों को निहारते हुए साहनी ने जब उस दरवाज़े पर दस्तक दी, जिसके आंगन में उनका बचपन बीता था, तो घर के मालिक ने उन्हें गले से लगा लिया और एक मालिक की तरह उनका स्वागत किया।

Imprint: Penguin Swadesh

Published: May/2025

ISBN: 9780143476269

Length : 120 Pages

MRP : ₹175.00

Pakistan Ka Safar/पाकिस्तान का सफ़र

Balraj Sahni/बलराज साहनी

महान अभिनेता बलराज साहनी का एकमात्र यात्रा वृत्तांत है — पाकिस्तान का सफ़र।
इस यात्रा वृत्तांत में साहनी ने पाकिस्तान की अपनी रोमांचक यात्रा के बारे में लिखा है।
साहनी जब सारी दुनिया में प्रसिद्ध हो चुके थे, तो उन्हें तब अपना वह घर बहुत याद आने लगा, जिसके आंगन में उनका बचपन बीता था, लेकिन अब वह घर पाकिस्तान में था और साहनी हिंदुस्तानी नागरिक थे। अब वह पाकिस्तानी घर उनका नहीं था, न ही उस घर में उनके कोई संबंधी रहते थे, अब तो वह घर किन्हीं अनजान लोगों का था, उसके मालिक कोई और थे, इसलिए साहनी को उस घर में जाने में संकोच हो रहा था। लेकिन सिकंदर ने साहनी को समझाया कि वह बेकार-से तकल्लुफ़ात का शिकार हो रहा है और नि:संकोच अपने पुराने घर को देखने के लिए उसे पाकिस्तान अवश्य जाना चाहिए।
अपने पुराने घर और बचपन के दोस्तों की गलियों को निहारते हुए साहनी ने जब उस दरवाज़े पर दस्तक दी, जिसके आंगन में उनका बचपन बीता था, तो घर के मालिक ने उन्हें गले से लगा लिया और एक मालिक की तरह उनका स्वागत किया।

Buying Options
Paperback / Hardback
error: Content is protected !!