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Patita Ki Sadhna/पतिता की साधना

Patita Ki Sadhna/पतिता की साधना

Bhagwatiprasad Vajpeyi/भगवतीप्रसाद वाजपेयी
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Paperback / Hardback

सुनती हूँ, तुमने ब्याह न करने की प्रतिज्ञा कर रखी है।’ नंदा के इस वाक्य पर हरि ने अपनी आँखें नीची करके कहा, ‘असल में बात कुछ और ही है।’
नंदा बोली, ‘वही तो मैं जानना चाहती हूँ।’
इस पर हरि ने उसकी ओर दृष्टिक्षेप किया, उससे दोनों के नयन लालसा के आलिंगन में चंचल हो उठे और और हरि ने उसे बाहों में भर लिया।
मनोवैज्ञानिक विश्लेषण के कुशल हिंदी उपन्यासकार भगवतीप्रसाद वाजपेयी ने इस उपन्यास में एक बाल विधवा के दारुण जीवन का ऐसा मार्मिक चित्र अंकित किया है कि पाठक के सामने उस समय के पूरे भारतीय समाज का चित्र उभर आता है।

Imprint: Penguin Swadesh

Published: May/2025

ISBN: 9780143476283

Length : 152 Pages

MRP : ₹175.00

Patita Ki Sadhna/पतिता की साधना

Bhagwatiprasad Vajpeyi/भगवतीप्रसाद वाजपेयी

सुनती हूँ, तुमने ब्याह न करने की प्रतिज्ञा कर रखी है।’ नंदा के इस वाक्य पर हरि ने अपनी आँखें नीची करके कहा, ‘असल में बात कुछ और ही है।’
नंदा बोली, ‘वही तो मैं जानना चाहती हूँ।’
इस पर हरि ने उसकी ओर दृष्टिक्षेप किया, उससे दोनों के नयन लालसा के आलिंगन में चंचल हो उठे और और हरि ने उसे बाहों में भर लिया।
मनोवैज्ञानिक विश्लेषण के कुशल हिंदी उपन्यासकार भगवतीप्रसाद वाजपेयी ने इस उपन्यास में एक बाल विधवा के दारुण जीवन का ऐसा मार्मिक चित्र अंकित किया है कि पाठक के सामने उस समय के पूरे भारतीय समाज का चित्र उभर आता है।

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