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पिता की सेना में पति को घिरे देख युद्धक्षेत्र में लज्जा त्याग संयोगिता बोली, ‘स्वामी! अब मेरा मुँह न देखिए बढ़-बढ़कर हाथ दीजिए और क्षत्रिय-जन्म सुफल कीजिए!’
वीर क्षत्राणी संयोगिता, कन्नौज के राजा जयचंद की बेटी थीं। संयोगिता को तिलोत्तमा, कान्तिमती, संजुक्ता जैसे नामों से भी जाना जाता है। संयोगिता और पृथ्वीराज चौहान के बीच प्रेम की कहानी बहुत प्रसिद्ध है, जिसे इस उपन्यास में दर्शाया गया है।
क्षत्रिय-कुल सिरमौर पृथ्वीराज चौहान की बहादुरी की रूह फूंक देने वाली इस कहानी में आचार्य चतुरसेन ने शृंगार और वीर रसों का अद्भुत संगम कराते हुए इसे अमर ऐतिहासिक उपन्यास बना दिया है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Apr/2025
ISBN: 9780143474203
Length : 160 Pages
MRP : ₹250.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
ISBN:
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Apr/2025
ISBN:
Length : 160 Pages
MRP : ₹250.00
पिता की सेना में पति को घिरे देख युद्धक्षेत्र में लज्जा त्याग संयोगिता बोली, ‘स्वामी! अब मेरा मुँह न देखिए बढ़-बढ़कर हाथ दीजिए और क्षत्रिय-जन्म सुफल कीजिए!’
वीर क्षत्राणी संयोगिता, कन्नौज के राजा जयचंद की बेटी थीं। संयोगिता को तिलोत्तमा, कान्तिमती, संजुक्ता जैसे नामों से भी जाना जाता है। संयोगिता और पृथ्वीराज चौहान के बीच प्रेम की कहानी बहुत प्रसिद्ध है, जिसे इस उपन्यास में दर्शाया गया है।
क्षत्रिय-कुल सिरमौर पृथ्वीराज चौहान की बहादुरी की रूह फूंक देने वाली इस कहानी में आचार्य चतुरसेन ने शृंगार और वीर रसों का अद्भुत संगम कराते हुए इसे अमर ऐतिहासिक उपन्यास बना दिया है।
आचार्य चतुरसेन शास्त्री हिन्दी भाषा के एक महान उपन्यासकार थे। इनका अधिकतर लेखन ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित है। इनकी प्रमुख कृतियां गोली, सोमनाथ, वयं रक्षामः और वैशाली की नगरवधू इत्यादि हैं। आभा इनकी पहली रचना थी। इनके अतिरिक्त शास्त्रीजी ने प्रौढ़ शिक्षा, स्वास्थ्य, धर्म, इतिहास, संस्कृति और नैतिक शिक्षा पर कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखी हैं।