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Rag Bhairav/राग भैरव

Rag Bhairav/राग भैरव

Vimal Mitra/विमल मित्र
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Paperback / Hardback

पिता और पुत्री के बीच कितने भी वैचारिक मतभेद हों, लेकिन रक्त संबंध एवं पूर्व जन्म का ऋणानुबंध होने के कारण वे हमेशा एक-दूसरे से निकट ही रहते हैं. . .अपने तो अपने ही होते हैं का अमर संदेश देने वाला नि:संदेह यह एक कालजयी उपन्यास है’— रांगेय राघव
भैरव बाबू बोले, ‘अरे मैंने देखा कि उस आदमी को छुरा मार दिया! ख़ून से सना छुरा लेकर लड़का उस गली की तरफ भाग गया।’
‘ज़रूरत क्या है आपको इन सब बातों में उलझने की? बूढ़े आदमी हैं आप। यदि पुलिस आकर हमें परेशान करेगी तब क्या होगा?’
विमल मित्र का यह रोचक एवं प्रेरक उपन्यास है, इसमें नई और पुरानी पीढ़ी के टकराव को जीवंत ढंग से उकेरा गया है।

Imprint: Penguin Swadesh

Published: May/2025

ISBN: 9780143476320

Length : 144 Pages

MRP : ₹199.00

Rag Bhairav/राग भैरव

Vimal Mitra/विमल मित्र

पिता और पुत्री के बीच कितने भी वैचारिक मतभेद हों, लेकिन रक्त संबंध एवं पूर्व जन्म का ऋणानुबंध होने के कारण वे हमेशा एक-दूसरे से निकट ही रहते हैं. . .अपने तो अपने ही होते हैं का अमर संदेश देने वाला नि:संदेह यह एक कालजयी उपन्यास है’— रांगेय राघव
भैरव बाबू बोले, ‘अरे मैंने देखा कि उस आदमी को छुरा मार दिया! ख़ून से सना छुरा लेकर लड़का उस गली की तरफ भाग गया।’
‘ज़रूरत क्या है आपको इन सब बातों में उलझने की? बूढ़े आदमी हैं आप। यदि पुलिस आकर हमें परेशान करेगी तब क्या होगा?’
विमल मित्र का यह रोचक एवं प्रेरक उपन्यास है, इसमें नई और पुरानी पीढ़ी के टकराव को जीवंत ढंग से उकेरा गया है।

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