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पिता और पुत्री के बीच कितने भी वैचारिक मतभेद हों, लेकिन रक्त संबंध एवं पूर्व जन्म का ऋणानुबंध होने के कारण वे हमेशा एक-दूसरे से निकट ही रहते हैं. . .अपने तो अपने ही होते हैं का अमर संदेश देने वाला नि:संदेह यह एक कालजयी उपन्यास है’— रांगेय राघव
भैरव बाबू बोले, ‘अरे मैंने देखा कि उस आदमी को छुरा मार दिया! ख़ून से सना छुरा लेकर लड़का उस गली की तरफ भाग गया।’
‘ज़रूरत क्या है आपको इन सब बातों में उलझने की? बूढ़े आदमी हैं आप। यदि पुलिस आकर हमें परेशान करेगी तब क्या होगा?’
विमल मित्र का यह रोचक एवं प्रेरक उपन्यास है, इसमें नई और पुरानी पीढ़ी के टकराव को जीवंत ढंग से उकेरा गया है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: May/2025
ISBN: 9780143476320
Length : 144 Pages
MRP : ₹199.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
ISBN:
Imprint: Penguin Swadesh
Published: May/2025
ISBN:
Length : 144 Pages
MRP : ₹199.00
पिता और पुत्री के बीच कितने भी वैचारिक मतभेद हों, लेकिन रक्त संबंध एवं पूर्व जन्म का ऋणानुबंध होने के कारण वे हमेशा एक-दूसरे से निकट ही रहते हैं. . .अपने तो अपने ही होते हैं का अमर संदेश देने वाला नि:संदेह यह एक कालजयी उपन्यास है’— रांगेय राघव
भैरव बाबू बोले, ‘अरे मैंने देखा कि उस आदमी को छुरा मार दिया! ख़ून से सना छुरा लेकर लड़का उस गली की तरफ भाग गया।’
‘ज़रूरत क्या है आपको इन सब बातों में उलझने की? बूढ़े आदमी हैं आप। यदि पुलिस आकर हमें परेशान करेगी तब क्या होगा?’
विमल मित्र का यह रोचक एवं प्रेरक उपन्यास है, इसमें नई और पुरानी पीढ़ी के टकराव को जीवंत ढंग से उकेरा गया है।