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हिंदी में निबंध लेखन की स्वस्थ परंपरा रही है। साहित्य का मनोसंधान उसी की दिलचस्प व पठनीय कड़ी है। कथा साहित्य में लेखक वस्तुस्थिति के समांतर एक संसार रचता है; निबंध में उससे सीधे मुठभेड़ करता है। दोनों तरह के लेखन का प्रमुख स्वर, भिन्न नज़रिया और प्रचलित मान्यता से प्रतिरोध हो सकता है, जो मृदुला गर्ग का है। निबंध में उसकी अभिव्यक्ति के लिए स्वरचित किरदारों का सहारा नहीं लेना पड़ता। तथ्यों की आँखों में आँखें डाल कर उनकी मनोवैज्ञानिक पड़ताल की जा सकती है। समाज, व्यवस्था और व्यक्ति के परस्पर घात प्रतिघात का सीधे जायजा लिया जा सकता है। मात्र विश्लेषण करके नहीं। प्रज्ञा और सौंदर्य बोध के प्रयोग से रस और रसोक्ति, दोनों पैदा कर के। इस पुस्तक में मनोसंधान का फलक खूब विस्तृत और गहन है। इसमें केवल बौद्धिक छटपटाहट नहीं, हार्दिक संवेदन और मनोरंजन है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Apr/2025
ISBN: 9780143475309
Length : 184 Pages
MRP : ₹299.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
ISBN:
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Apr/2025
ISBN:
Length : 184 Pages
MRP : ₹299.00
हिंदी में निबंध लेखन की स्वस्थ परंपरा रही है। साहित्य का मनोसंधान उसी की दिलचस्प व पठनीय कड़ी है। कथा साहित्य में लेखक वस्तुस्थिति के समांतर एक संसार रचता है; निबंध में उससे सीधे मुठभेड़ करता है। दोनों तरह के लेखन का प्रमुख स्वर, भिन्न नज़रिया और प्रचलित मान्यता से प्रतिरोध हो सकता है, जो मृदुला गर्ग का है। निबंध में उसकी अभिव्यक्ति के लिए स्वरचित किरदारों का सहारा नहीं लेना पड़ता। तथ्यों की आँखों में आँखें डाल कर उनकी मनोवैज्ञानिक पड़ताल की जा सकती है। समाज, व्यवस्था और व्यक्ति के परस्पर घात प्रतिघात का सीधे जायजा लिया जा सकता है। मात्र विश्लेषण करके नहीं। प्रज्ञा और सौंदर्य बोध के प्रयोग से रस और रसोक्ति, दोनों पैदा कर के। इस पुस्तक में मनोसंधान का फलक खूब विस्तृत और गहन है। इसमें केवल बौद्धिक छटपटाहट नहीं, हार्दिक संवेदन और मनोरंजन है।