“प्रख्यात उपन्यासकार नरेन्द्र कोहली की उपन्यास शृंखला तोड़ो कारा तोड़ो पर आधारित यह नाट्य रूपांतर है। इसमें स्वामी विवेकानन्द के जीवन और दर्शन को नाटकीय ढंग से खूबसूरती के साथ उकेरा गया है। स्वामी जी ने सतत संघर्ष किया। उनका व्यक्तित्व आकर्षक था, वाणी ओजपूर्ण थी, जो भी उन्हें देखता, सुनता उसपर जादू का सा असर होता, वह दीवाना हो जाता। युवाओं को तो उन्होंने पागल-सा बना दिया था। वह योद्धा संन्यासी थे। इसी नाटक में कहा गया है कि ‘कौन-सा गुण था, जो स्वामी जी में नहीं था। मानव के चरम विकास की साक्षात मूर्ति थे वे। भारत की आत्मा और स्वामी जी एकाकार हो गए थे।’
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Aug/2024
ISBN: 9780143468172
Length : 142 Pages
MRP : ₹199.00