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‘मेरा भरोसा है कि राजगोपाल सिंह वर्मा की सेनापति एक महान सेनानायक के जीवन संघर्ष, उसके उत्थान-पतन, प्रेम-विरह और जीवन की संध्या तक की यात्रा के अनेक अनछुए, अनचीन्हे पन्नों को खोलने का काम करेगी’ —डॉ राकेश पाठक,</b< संपादक, पत्रकार, स्तंभकार
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि 18वीं सदी के किसी छोटे-से यूरोपीय देश में जन्मा एक बालक दुनिया के दूसरे छोर पर विजय का प्रतीक बन जाएगा? अगर उसका नाम ‘बेनेट द बॉयन’ हो, तो हाँ।
राजगोपाल सिंह वर्मा की पुस्तक सेनापति इसी अनूठे फ़्रांसीसी योद्धा की कहानी है। सेवॉय में जन्मे बॉयन ने कई देशों के लिए युद्ध लड़े और अंततः महाराजा महादजी सिंधिया के सेनापति बने। उन्होंने हिंदुस्तान की सबसे योग्य सेना तैयार की, जिससे महादजी दिल्ली के भाग्यविधाता बन सके।
बॉयन एक अजेय सेनानायक और उसूलों के पक्के इंसान थे। फ़्रांसीसी, आयरिश ब्रिगेड और रूसी सेना में संघर्षों के बाद, उन्होंने हिंदुस्तान का रुख़ किया। फ़्रांस लौटने पर उन्हें नेपोलियन बोनापार्ट का न्यौता मिला, लेकिन बॉयन ने हथियार छोड़ने के बाद कभी तलवार नहीं उठाई।
यह जीवनी बॉयन के सैनिक बनने से लेकर अजेय सेनापति और राजनैतिक शिखर तक दख़ल रखने की रोचक कहानी बताती है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Oct/2024
ISBN: 9780143463351
Length : 256 Pages
MRP : ₹299.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
ISBN:
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Oct/2024
ISBN:
Length : 256 Pages
MRP : ₹299.00
‘मेरा भरोसा है कि राजगोपाल सिंह वर्मा की सेनापति एक महान सेनानायक के जीवन संघर्ष, उसके उत्थान-पतन, प्रेम-विरह और जीवन की संध्या तक की यात्रा के अनेक अनछुए, अनचीन्हे पन्नों को खोलने का काम करेगी’ —डॉ राकेश पाठक,</b< संपादक, पत्रकार, स्तंभकार
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि 18वीं सदी के किसी छोटे-से यूरोपीय देश में जन्मा एक बालक दुनिया के दूसरे छोर पर विजय का प्रतीक बन जाएगा? अगर उसका नाम ‘बेनेट द बॉयन’ हो, तो हाँ।
राजगोपाल सिंह वर्मा की पुस्तक सेनापति इसी अनूठे फ़्रांसीसी योद्धा की कहानी है। सेवॉय में जन्मे बॉयन ने कई देशों के लिए युद्ध लड़े और अंततः महाराजा महादजी सिंधिया के सेनापति बने। उन्होंने हिंदुस्तान की सबसे योग्य सेना तैयार की, जिससे महादजी दिल्ली के भाग्यविधाता बन सके।
बॉयन एक अजेय सेनानायक और उसूलों के पक्के इंसान थे। फ़्रांसीसी, आयरिश ब्रिगेड और रूसी सेना में संघर्षों के बाद, उन्होंने हिंदुस्तान का रुख़ किया। फ़्रांस लौटने पर उन्हें नेपोलियन बोनापार्ट का न्यौता मिला, लेकिन बॉयन ने हथियार छोड़ने के बाद कभी तलवार नहीं उठाई।
यह जीवनी बॉयन के सैनिक बनने से लेकर अजेय सेनापति और राजनैतिक शिखर तक दख़ल रखने की रोचक कहानी बताती है।
राजगोपाल सिंह वर्मा ने उपन्यास, जीवनी, कहानी, और ऐतिहासिक विधाओं में लेखन कार्य किया है। पत्रकारिता तथा इतिहास में स्नातकोत्तर उपाधि के साथ ही आपके पास नई दिल्ली, लखनऊ और आगरा में केन्द्र और प्रदेश सरकार के विभागों में कार्य निष्पादन का अनुभव भी है। आपने उत्तर प्रदेश सरकार की साहित्यिक पत्रिका उत्तर प्रदेश का पाँच वर्ष तक सम्पादन कार्य किया। साथ ही, केन्द्र सरकार के अधीन कई मंत्रालयों की पत्रिकाओं के सम्पादकीय दायित्व का भी निर्वहन किया।
बेगम समरू का सच के लेखन के लिए आपको उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा “पं महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान” वर्ष 2019-20 प्रदान किया गया। दुर्गावती : गढ़ा की पराक्रमी रानी के लेखन के लिए आपको उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का “पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ सम्मान” वर्ष 2021 प्रदान किया गया। इसके साथ ही, मुम्बई की साहित्यिक पत्रिका कथाबिम्ब द्वारा “कमलेश्वर स्मृति कथा सम्मान-2019” के रूप में श्रेष्ठ कहानीकार के सम्मान से आपको पुरस्कृत किया।