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Swarna/स्वर्णा

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Tagore Ki Alpcharchit Vidushi Bahan Ki Jeewani/टैगोर की अल्पचर्चित विदुषी बहन की जीवनी

Rajgopal Singh Verma/राजगोपाल सिंह वर्मा
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Paperback / Hardback

स्वर्णा या “न’दीदी” यानि स्वर्णकुमारी देवी, जीवनपर्यंत साहित्यिक और सामाजिक प्रतिबद्धताओं के प्रति समर्पित रहीं। उन्होंने उपन्यास, कहानियाँ, व्यंग्य, नाटक, वैज्ञानिक लेख जैसी विविध विधाओं में लिखा। यह जीवनी ऐसी विलक्षण महिला के कार्यकलापों को जानने, चुनौतीपूर्ण समय में उनके रचनात्मक योगदानों को रेखाँकित कर, भारतीय समाज में, विशेषकर महिलाओं के उत्थान की गतिविधियों को सामने लाने का एक प्रयास है।
स्त्री दाय को अपनी पैनी दृष्टि से पहचानकर बांग्ला की इस विदुषी से हिन्दी संसार को परिचित करवाने का सम्भवत: यह पहला प्रयास राजगोपाल सिंह वर्मा द्वारा इस शोधपरक जीवनी स्वर्णा के माध्यम से किया गया। इस दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। इसकी पठनीयता और धाराप्रवाहता से सहज उनके जीवन का परिदृश्य सामने उभरकर आ जाता है।
‘बंगाल की अपने समय की सबसे विलक्षण महिला जिसने वहाँ की स्त्री जाति के उत्थान के लिए वह सब किया जो उससे बन पड़ा’ —अमृत बाजार पत्रिका, स्वर्णकुमारी देवी को श्रद्धाँजलि देते हुए
” 

Imprint: Penguin Swadesh

Published: Oct/2023

ISBN: 9780143463368

Length : 192 Pages

MRP : ₹299.00

Swarna/स्वर्णा

Tagore Ki Alpcharchit Vidushi Bahan Ki Jeewani/टैगोर की अल्पचर्चित विदुषी बहन की जीवनी

Rajgopal Singh Verma/राजगोपाल सिंह वर्मा

स्वर्णा या “न’दीदी” यानि स्वर्णकुमारी देवी, जीवनपर्यंत साहित्यिक और सामाजिक प्रतिबद्धताओं के प्रति समर्पित रहीं। उन्होंने उपन्यास, कहानियाँ, व्यंग्य, नाटक, वैज्ञानिक लेख जैसी विविध विधाओं में लिखा। यह जीवनी ऐसी विलक्षण महिला के कार्यकलापों को जानने, चुनौतीपूर्ण समय में उनके रचनात्मक योगदानों को रेखाँकित कर, भारतीय समाज में, विशेषकर महिलाओं के उत्थान की गतिविधियों को सामने लाने का एक प्रयास है।
स्त्री दाय को अपनी पैनी दृष्टि से पहचानकर बांग्ला की इस विदुषी से हिन्दी संसार को परिचित करवाने का सम्भवत: यह पहला प्रयास राजगोपाल सिंह वर्मा द्वारा इस शोधपरक जीवनी स्वर्णा के माध्यम से किया गया। इस दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। इसकी पठनीयता और धाराप्रवाहता से सहज उनके जीवन का परिदृश्य सामने उभरकर आ जाता है।
‘बंगाल की अपने समय की सबसे विलक्षण महिला जिसने वहाँ की स्त्री जाति के उत्थान के लिए वह सब किया जो उससे बन पड़ा’ —अमृत बाजार पत्रिका, स्वर्णकुमारी देवी को श्रद्धाँजलि देते हुए
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Reviews

Rajgopal Singh Verma/राजगोपाल सिंह वर्मा

राजगोपाल सिंह वर्मा ने उपन्यास, जीवनी, कहानी, और ऐतिहासिक विधाओं में लेखन कार्य किया है। पत्रकारिता तथा इतिहास में स्नातकोत्तर उपाधि के साथ ही आपके पास नई दिल्ली, लखनऊ और आगरा में केन्द्र और प्रदेश सरकार के विभागों में कार्य निष्पादन का अनुभव भी है। आपने उत्तर प्रदेश सरकार की साहित्यिक पत्रिका उत्तर प्रदेश का पाँच वर्ष तक सम्पादन कार्य किया। साथ ही, केन्द्र सरकार के अधीन कई मंत्रालयों की पत्रिकाओं के सम्पादकीय दायित्व का भी निर्वहन किया।
बेगम समरू का सच के लेखन के लिए आपको उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा “पं महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान” वर्ष 2019-20 प्रदान किया गया। दुर्गावती : गढ़ा की पराक्रमी रानी के लेखन के लिए आपको उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का “पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ सम्मान” वर्ष 2021 प्रदान किया गया। इसके साथ ही, मुम्बई की साहित्यिक पत्रिका कथाबिम्ब द्वारा “कमलेश्वर स्मृति कथा सम्मान-2019” के रूप में श्रेष्ठ कहानीकार के सम्मान से आपको पुरस्कृत किया। 

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