प्रस्तुत महाकाव्य राम के ईश्वरीय मिथक के माध्यम से एक ओर मौजूदा समय के ज्वलंत विमर्श—स्त्री और दलित—को प्रतिबिंबित करते हुए जाति, वर्ग, संप्रदाय, आदिवासी-उत्पीड़न, हिंसा, अनाचार, आतंकवाद, विश्वयुद्ध की विभीषिकाओं और बाज़़ार के बढ़ते प्रभाव से जुड़़ी समस्याओं पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है, तो दूसरी ओर समस्त अराजक, पाशविक और नकारात्मक प्रवृत्तियों को शमित करने के लिए संघर्ष का आह्वान भी। यह संशोधित एवं परिवर्धित संस्करण प्रथम बार प्रस्तुत किया गया है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2024
ISBN: 9780143465393
Length : 476 Pages
MRP : ₹450.00