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नदी का बदलना संस्कृतियों को बदल देता है। विहंगम इसी बदलाव को समझने की एक छोटी-सी कोशिश है। गंगापथ पर फैली कहानियाँ एक नदी संस्कृति के बनने की कहानी है। वराह का आंदोलन, सरस्वती तट के विस्थापितों के पदचिह्न और अक्षय वट की गवाही, कुंभ और सनातन के विराट होते जाने की कहानी है। इन कहानियों में गंगा के साथ बहती उसकी नहरें भी हैं। जिनका अपना समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र है। इन नहरों की कहानियाँ भी भगीरथ प्रयास से बहुत अलग नहीं है। यह पुस्तक नदी के भूगोल को देखने और इस भूगोल के सांस्कृतिक इतिहास की गलियों से गुज़रने का एक प्रयास है।
Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2025
ISBN: 9780143465751
Length : 320 Pages
MRP : ₹399.00
Imprint: Penguin Audio
Published:
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Imprint: Penguin Swadesh
Published: Jan/2025
ISBN:
Length : 320 Pages
MRP : ₹399.00
नदी का बदलना संस्कृतियों को बदल देता है। विहंगम इसी बदलाव को समझने की एक छोटी-सी कोशिश है। गंगापथ पर फैली कहानियाँ एक नदी संस्कृति के बनने की कहानी है। वराह का आंदोलन, सरस्वती तट के विस्थापितों के पदचिह्न और अक्षय वट की गवाही, कुंभ और सनातन के विराट होते जाने की कहानी है। इन कहानियों में गंगा के साथ बहती उसकी नहरें भी हैं। जिनका अपना समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र है। इन नहरों की कहानियाँ भी भगीरथ प्रयास से बहुत अलग नहीं है। यह पुस्तक नदी के भूगोल को देखने और इस भूगोल के सांस्कृतिक इतिहास की गलियों से गुज़रने का एक प्रयास है।