पेंगुइन रैंडम हाउस के भारतीय भाषा प्रकाशन के तहत सम्मानित लेखक और स्प्रिचुअल गाइड, दाजी के नाम से मशहूर, कमलेश डी पटेल की बेस्टसेलिंग किताब द विज़्डम ब्रिज के हिन्दी अनुवाद को प्रकाशित किया गया है।
यह किताब माता-पिता और अभिभावकों के लिए है। महामारी के शुरुआती महीनों के दौरान लेखक के मन में बार-बार सवाल आता था कि इस “न्यू नॉर्मल”(किसी संकट के बाद जीवनशैली में आने वाले बदलाव) के दौरान, वो माता-पिता और अभिभावकों की मदद कैसे कर सकते हैं?” कोविड-19 महामारी तो समाप्त हो जाएगी लेकिन परिवारों, विशेषकर बच्चों, पर इसके दुष्प्रभावों से लेखक चिन्तित थे। वो अनेक वर्षों से परिवारों की सुख-शान्ति, बच्चों के पालन-पोषण और बुजुर्गों की देखभाल करने की ज़रूरत के बारे में बात करते रहे हैं। इस महामारी की पृष्ठभूमि में, एक अत्यावश्यक ज़रूरत की भावना के साथ, दाजी ने इस किताब को लिखना शुरू किया था। यह किताब मार्च 2023 की शुरुआत में बाज़ार में आ गई है। यह ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर भी उपलब्ध है।
अपनी पुस्तक के हिन्दी अनुवाद के प्रकाशन के लिए पेंगुइन को धन्यवाद देते हुए दाजी ने कहा, ‘पेंगुइन ने बेस्टसेलिंग द विज़्डम ब्रिज के हिन्दी अनुवाद को प्रकाशित कर पाठकों को एक अच्छी सौगात दी है।’ दाजी ने आगे कहा, ‘बात चाहे कई बार कही गई है, पर आज भी उपयोगी है कि “खोजे जा चुके को फिर से मत खोजो।” इसका अर्थ एक उदाहरण से बताता हूँ। जैसे कि हमारे पुरखों से यह ज्ञान पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है कि हमें स्वस्थ रहने के लिए किस ऋतु में क्या खाना चाहिए। व्यस्त जीवन व शहरीकरण के कारण हमने सब तरह के बदलाव तो किए, पर पाया कि खान-पान का तरीका जो चला आ रहा था वही अच्छा था। आज खाने के विशेषज्ञ हों या हेल्थ कोच, सभी यही कह रहे हैं कि स्वस्थ रहने के लिए अपने माता-पिता की तरह ही भोजन कीजिए। इसी तरह बहुत सारा ज्ञान हमें अपने बुजुर्गों से मिला है जिसे हम खो बैठेंगे, अगर इसे पीढ़ी दर पीढ़ी सहेजने की कोशिश न की गई तो। हर बार हर जगह नया करने की जरूरत नहीं होती।’
द विज़्डम ब्रिज पर बात करते हुए पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया की इंडियन लैंग्वेजेज़ पब्लिशिंग विभाग की पब्लिशर वैशाली माथुर कहती हैं, ‘दाजी की यह किताब उनके गहन विवेक का परिणाम है। इसकी सीखों को जीवन में उतारकर लाभ मिलना सुनिश्चित है। हमें बेहद ख़ुशी है कि दाजी को अध्यात्म और पर्यावरण के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए हाल ही में “पद्मभूषण सम्मान” दिया गया है।’
लेखक के बारे में :
दाजी, जिन्हें कमलेश डी पटेल के नाम से भी जाना जाता है, वैश्विक हार्टफुलनेस आन्दोलन के चौथे और वर्तमान स्प्रिचुअल गाइड और प्रेसिडेन्ट–हार्टफुलनेस हैं। उन्होंने बीते चार दशकों में दुनिया भर के लोगों को हार्टफुलनेस मेडीटेशन का प्रशिक्षण दिया है।
दाजी बेस्टसेलर्स डिजाइनिंग डेस्टिनी और (जोशुआ पोलॉक के साथ) द हार्टफुलनेस वे के लेखक हैं। उनके कामों की झलक टाइम्स ऑफ इंडिया, इकोनॉमिक टाइम्स, हिन्दुस्तान टाइम्स और प्रमुख टेलीविजन नेटवर्क्स पर दिखाई जा चुकी है। दाजी विश्वस्तरीय सम्मेलनों में मुख्य भाषण देते हैं और कार्यशालाएँ आयोजित करते हैं। उनका जुझारूपन उनके ज़मीनी स्तर के प्रयासों में नज़र आता है, विशेषकर मेडीटेशन(ध्यान) को फिर से भारत के गाँवों तक ले जाने में। हार्टफुलनेस संस्था के वैश्विक मार्गदर्शक प्रमुख कमलेश डी पटेल (दाजी) को भारत सरकार द्वारा आध्यात्म के क्षेत्र में योगदान के लिए 2023 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “पद्मभूषण” से सम्मानित किया गया है।
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